ज्यादातर क्रिकेटर खेल से सन्यास लेने के बाद कंमेंटेटर या कोच बनते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई प्लेयर्स ऐसे भी हैं जिन्होंने क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद राजनीति की और कदम बढ़ा लिया था।
कीर्ति आजाद राजनीति के क्षेत्र का एक बड़ा नाम है कीर्ति ने राजनीति में एंट्री ली और बीजेपी के टिकट से बिहार के दरभंगा से लोकसभा चुनाव जीता था और अभी भी वो दरभंगा से लोकसभा सांसद हैं।
कलाई के जादूगर के नाम से प्रसिद्ध रहे पूर्व इंडियन कप्तान अजहरूद्दीन ने भी सन्यास के बाद राजनीति में अपना कदम बढाया और उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा और मुरादाबाद से चुनाव लड़ा।
चेतन चौहान क्रिकेट से सन्यास के बाद उन्हें 1981 में अर्जुन पुरस्कार मिला था और चेतन ने बीजेपी का दामन थामा था और अमरोहा जिला से सांसद चुने गए थे और अब वह फुल टाइम पॉलिटिक्स में ही हैं।
गौतम गंभीर ने क्रिकेट की पिच से संन्यास लेने के बाद भी राजनीति के मैदान उतर गए थे, साल 2019 के लोकसभा चुनाव गंभीर ने भाजपा के टिकट पर पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की थी।
भारत का वो क्रिकेटर जो क्रिकेट का भगवान है सचिन ने अप्रैल 2012 में राज्य सभा की सदस्यता स्वीकार की और मई में राज्य सभा का सदस्य के रूप में शपथ भी ली।
लक्ष्मी रतन शुक्ला ने 2016 के पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव से पहले अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे और हावड़ा उत्तर निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बने थे।
क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद नवजोत सिद्धू 2004 में राजनीति में अपना कदम रखा और लोकसभा इलेक्शन में जीत प्राप्त की थी।
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