कहानी उस खिलाडी की, जो 1999 में ही T20 खेल रहा था।1992, 1999, 2003 और 2019 odi world cup में क्या समानता है? इन एडिशन्स में खिलाडी ऑफ द टूर्नामेंट कप बने खिलाडी विजेता टीम से नहीं आए थे। 2003 में ये लम्हा सचिन तेंडुलकर ने झेला था। चार साल पहले उस भावना से lance klusener गुजर चुके थे। और इस अपमान पर इंजरी चढ़ाई steve waugh ने, जब उन्होंने klusener ने टीम के साथी से कहा,
‘आपने वर्ल्ड कप गिरा दिया है, दोस्त’
steve waugh बाद में ऐसा कहने से मुकर गए थे, लेकिन क्रिकेट की प्रसिद्ध कहानियों में ये चैप्टर हमेशा के लिए जुड़ सा गया था। बात हैं 1999 के world cup की। पहली बार ड्यूक बॉल्स का प्रयोग किया गया था। इस बॉल में ज्यादा स्विंग होती थी और इंग्लैंड की कंडीशन्स में पेसर्स ने इसे शानदार तरीके से इस्तेमाल किया था। Shane Warne और Saqlain Mushtaq को छोड़ दें तो, टॉप 10 विकेट लेने वालें में सारे ही पेसर्स थे।
इस सूची के चौथे नंबर पर थे lance klusener, इस खिलाडी ने अपनी टीम को world cup जिताने का ज़िम्मा मानो अकेले अपने कंधों पर ही लिया था। klusener ने बॉल से जो कमाल किया सो किया था, परन्तु बैटिंग में भी उतना ही बवाल मचाया था। 140 की बेहतरीन औसत और 122 के शानदार स्ट्राइक रेट से इस साउथ अफ्रीकी ने रन्स जड़ें थे। फिर उनकी टीम कहां चुकी थी? आपको बताते हैं।
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world cup के महारथी- वो दिग्गज खिलाडी, जिसने बैटिंग, बोलिंग और फ़ील्डिंग सब कर डाली लेकिन…
स्वागत है cricketinhindi की स्पेशल सीरीज़, world cup के महारथी के एक और चैप्टर में। कहानी, जैसा कि आप समझ ही गए होगे, 1999 की है। हमने 2023 से उलटा चलना शुरू कर दिया था। युवराज सिंह, मिचल स्टार्क, केन विलियमसन, ग्लेन मैक्ग्रा और 2003 में सचिन तेंडुलकर। Odi world cup शुरू हो गया है, तो हमने सोचा आपकी यादाश्त को थोड़ा रिफ्रेश कर दिया जाए।
ताकि जब आप अपने परिवार वालो या दोस्तों के साथ वर्ल्ड कप पर चर्चा जरुर करगे, आपके पास भी कुछ ऐसी इंटरेस्टिंग कहानियां हों, जो उन्हें शायद ही पता हो। इस world cup में lance klusener सबसे खिलाडी चुने गए थे। हालांकि, lance klusener की टीम सेमीफाइनल में बाहर हो गई थी। क्या है पूरी कहानी? आइये जानते हैं-
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# कैसा रहा था वर्ल्ड कप?
– साउथ अफ्रीका अच्छी तैयारी करके आई हुई थी। पूरी टीम दिग्गज़ों से भरी हुई नजर आ रही थी। हैंसी क्रोनिए, मार्क बाउचर, जैक कालिस, हर्शल गिब्स, गैरी कर्स्टन, जॉन्टी रोड्स, क्लूज़नर, शॉन पोलॉक, निकी बोए और एलन डोनाल्ड। बल्लेबाजी, गेंदबाज़ी, फील्डिंग, ऑलराउंडर्स, जोकि सारे शानदार फॉर्म में थे।
– साउथ अफ्रीका ने अपने पहले ही मैच में इंडिया को चार विकेट से शिकस्त दी थी। क्लूज़नर ने तीन विकेट लिए थे, कालिस ने 96 रन जड़कर 254 का लक्ष्य चेज़ करा था । श्रीलंका के विरुद्ध क्लूज़नर ने फिर कमाल कर दिया था। साउथ अफ्रीका 199 पर सिमट गई थी। इसमें क्लूज़नर ने 52 रन जड़ें थे। तीन विकेट भी हासिल किए थे। छोटे लक्ष्य में 89 रन की जीत कितनी जबरदस्त होती है।
– अगला मैच इंग्लैंड के साथ था। क्लूज़नर नॉटआउट 48 रन बनाकर किफ़ायती बॉलिंग भी की थी। छह ओवर में मात्र 16 रन दिए थे और एक विकेट भी ली थी। 226 के लक्ष्य में इंग्लैंड सिर्फ 103 ही रन बना सकी थी। एलन डोनाल्ड ने चार विकेट हासिल किए थे।
– अफ्रीकन लड़ाई। केन्या से सामना। क्लूज़नर ने बॉल को अपनी धुन पर नचाया था। नौ ओवर, तीन मेडन, पांच विकेट और मात्र 21 रन दिए थे। केन्या 152 रन ही बना पाई थी। साउथ अफ्रीका ने इस मैच में सात विकेट से जीत हासिल की थी।
– अगले मैच में फिर स्टार ऑलराउंडर ने शानदार परफॉर्म किया था। पाकिस्तान की बेहतरीन बॉलिंग लाइनअप के विरुद्ध 41 बॉल में 46 रन जड़ें थे। तीन चौके और तीन छक्के लगाए थे। एक ओवर बाकी रहते मैच जीत लिया था। क्लूज़नर एक बार दोबारा मैन ऑफ द मैच बने।
– lance klusener की शानदार बैटिंग को देखते हुए उन्हें तीन नंबर पर भी भेजा गया था। पर उनका बल्ला चला नहीं था। फिर जैक कालिस ने इस मैच में अपनी टीम को जीत दिलाई थी । 53 रन और दो विकेट हासिल किए थे।
– अगला मैच ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध हुआ था। क्लूज़नर ने 171 के शानदार स्ट्राइक रेट से 36 रन जड़कर अपनी टीम को 271 रन के लक्ष्य तक पहुंचा दिया था। उस दौर में ये बहुत बड़ा लक्ष्य हुआ करता था। इस मैच में जो भी हुआ था, उसका असर आज भी साउथ अफ्रीका पर है। ऑस्ट्रेलिया 48 रन पर तीन विकेट्स खो चुकी थी।
रिकी पॉन्टिंग और स्टीव वॉ ने ऑस्ट्रेलियाई पारी को संभाला। 31वां ओवर क्लूज़नर ही डाल रहे थे। लास्ट बॉल पर हर्शल गिब्स ने मिडविकेट पर एक सरल-सा कैच गंवा बैठे थे। गिब्स ने कैच पकड़ लिया था, लेकिन सेलिब्रेट करने की जल्दबाज़ी में अपना नियत्रंण खो बैठे, जिससे कैच भी चुट गया। वॉ ने शतक जड़ा। ऑस्ट्रेलिया ने पांच विकेट से मैच अपने नाम कर लिया था।
– इस जीत के साथ ऑस्ट्रेलिया सुपर 6 की टेबल में साउथ अफ्रीका से ऊपर आ गई। आगे चलकर टेबल पर ये रैंकिंग साउथ अफ्रीका को खूब दुखी।
– दूसरा सेमीफाइनल बर्मिंघम में खेला गया था। दोबारा से ऑस्ट्रेलिया से सामना था। स्टीव वॉ ने दोबारा अच्छी बल्लेबाज़ी की और पचासा रन मारे। उनका साथ माइकल बेवन ने दिया । 90 रन की साझेदारी की मदद से ऑस्ट्रेलिया 213 रन ही बना सकी । क्लूज़नर ने लक्ष्य में अपनी टीम के लिए फिर वो बहुत कुछ किया था, जो वह कर सकते थे। 193 की स्ट्राइक रेट से 31 रन जेड थे।
यानी की मात्र 16 गेंदों में जद दिए थे। परन्तु दूसरे तरफ से समर्थन लगभग ना के बराबर मिला था। 213 रन पर मैच ड्रा हो गया था। तब सुपर ओवर या बोल आउट का चलन नहीं हुआ करता था। ऑस्ट्रेलिया इस तरह फ़ाइनल तक पहुंच गई थी, क्योंकि सुपर 6 में वो टेबल में साउथ अफ्रीका से ऊपर थी। सारी कहानी वापस हर्शल गिब्स के कैच पर आ चुकी थी। ‘चोकर्स’ का जो टैग मिला था, वो और सूट करने लग गया था।
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Conclusion
इस टूर्नामेंट में राहुल द्रविड़ ने सबसे अधिक 461 रन जड़ें थे। जेफरी एलियट ने सबसे अधिक 20 विकेट्स हासिल किए थे। पर क्लूज़नर ने टीम के लिए गेंदबाज़ी, बल्लेबाज़ी, फील्डिंग सब शानदार की थी। इस दौर में T20 का जिक्र भी नहीं किया गया था, फिर भी क्लूज़नर t20 से ज्यादा की स्ट्राइक रेट से बल्लेबाज़ी कर रहे थे। क्रीज़ के बीचोंबीच आकर छक्के मार रहे थे, लगातार नॉटआउट रहकर अपनी टीम को मैच जिताते जा रहें थे। World cup फ़ाइनल में इस खिलाडी को खेलने का मौका नहीं मिला था, पर क्लूज़नर ने इस स्टेज को अपना बनाया और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का ख़िताब अपने नाम किया था।