दोस्तों आज हम इस cricketinhindi blog में बात करेगे कि pakistan match fixing किस टीम के साथ की थी तो दोस्तों क्रिकेट सबसे ज्यादा देखे जाने वाला खेल है. लोकप्रियता के मामले में क्रिकेट के आसपास कोई भी और खेल नहीं है. इस जेंटलमैन गेम पर बहुत से मैच या टॉस फिक्सिंग का काला धब्बा लग चुका है. क्रिकेट हिस्ट्री में भी कई ऐसे पल आए है जब पूरे क्रिकेट जगत को शर्मसार होना पड़ा है. आईसीसी ने मैच फिक्सिंग को रोकने के लिए कई सारे कदम उठाए हैं, फिर भी बुकीज मैच फिक्सिंग की स्थिति पैदा करते है तो आज हम आपको pakistan match fixing के बारें में बताते हैं.
pakistan match fixing
दोस्तों अब जानते हैं कि pakistan match fixing किस टीम के साथ की थी ‘Toss Fixing’ पहली बार किसी पाकिस्तानी क्रिकेटर पर मैच फिक्सिंग का आरोप 1979-80 में लगा था। आसिफ इकबाल पाकिस्तानी टीम के कप्तान हुआ करते थे और पाकिस्तानी टीम भारत में सीरीज खेलने आई थी। कोलकाता में सीरीज का 6वां टेस्ट मैच था.
पाकिस्तान में मैच फिक्सिंग जांच के साथ कई हस्तियों का नाम शुमार है पर जो जिक्र जस्टिस कय्यूम कमीशन का है- वह सबसे अलग ही है। 79 साल की उम्र में जस्टिस कय्यूम का निधन हो गया था। उन्हीं के कमीशन की जांच पर, सलीम मलिक और अता-उर-रहमान पर आजीवन क्रिकेट का प्रतिबंध लगाया गया था और 1990 के दशक के आख़िरी सालों तथा 2000 के दशक की शुरुआत में कई क्रिकेटरों का नाम मैच फिक्सिंग में आया था। इस प्रकार उन्हें, हमेशा उस व्यक्ति के तौर पर याद किया जाएगा, जिसने कहीं भी, मैच फिक्सिंग की सबसे बड़ी जांच में से एक को हैड किया था।
उनके कमीशन ने, लगभग एक साल की लंबी पूछताछ के बाद, जो रिपोर्ट दी थी, वह मई 2000 में रिलीज हुई थी। जब भी, इस कमीशन का जिक्र किया जाता है तो इस प्रकार का ही परिचय दिया जाता है उनकी रिपोर्ट का ये तो सब है जिसकी जांच के लिए उन्हें कहा गया था। वे ही जज थे और मौजूदा मैच फिक्सिंग तक पहुंचने के लिए, इसके पिछले सालों के जिक्र में अपने आपको झांक लिया गया था। उनकी रिपोर्ट के जिस पहलू को पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भी महत्व नहीं दिया था, वह यह है कि आखिरकार पहली बार कब पाकिस्तान के किसी भी क्रिकेटर का नाम मैच फिक्सिंग के जिक्र में लिया गया था।
उसी किस्से पर अब चलते हैं और भारत के लिए तो ये और भी ख़ास होगी क्योंकि न सिर्फ मैच की दूसरी टीम भारत थी- मैच भी भारत में खेला गया था, तो आइये इस पर आगे चर्चा करते हैं पाकिस्तान के match fixing in cricket के बारें में –
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match fixing in cricket
दोस्तों अब बात करते हैं कि पाकिस्तान के match fixing in cricket के बारें तो दोस्तों पहली बार किसी पाकिस्तानी क्रिकेटर पर मैच फिक्सिंग का आरोप 1979-80 में लगा था। आसिफ इकबाल पाकिस्तानी टीम के कप्तान हुआ करते थे और टीम भारत में सीरीज खेलने आई थी। कोलकाता में सीरीज का 6वां टेस्ट मैच था और टीम इंडिया के उस टेस्ट के कप्तान गुंडप्पा विश्वनाथ थे। सीरीज के लिए, नियमित कप्तान तो सुनील गावस्कर थे पर इस टेस्ट से पहले उन्होंने कह दिया गया था कि वे नहीं खेल सकेगे और फिर कप्तानी मिल गई विश्वनाथ को।
विश्वनाथ, पहली बार टेस्ट में कप्तानी कर रहे थे और उनके सामने अनुभवी आसिफ इकबाल थे। 29 जनवरी, 1980 को ईडन गार्डन्स, कोलकाता में सुबह- दोनों कप्तान टॉस के लिए गए और स्कोरकार्ड के हिसाब से टॉस विश्वनाथ ने जीत लिया था। विवाद यहां से शुरू हुआ था कि बाद में विश्वनाथ ने, दबी आवाज में कहाँ कि पाकिस्तानी कप्तान ने टॉस ‘पूरा’ हुए बिना उन्हें टॉस जीतने की ‘बधाई’ दे दी थी- और कहाँ कि भारतीय कप्तान ने टॉस जीत लिया है। यह किस्सा है। वास्तव में वह टॉस किसने जीता था- कोई नहीं जानता था।
अब इस किस्से पर और चर्चा में उन हालात को जानना बहुत आवश्यक है जिनमें विश्वनाथ को भारत का कप्तान बनाया गया था। उस छठे टेस्ट से पहले, भारत सीरीज में 2-0 से आगे था यानि कि सीरीज में जीत पक्की हो गईं थी। इसलिए भारत ने भी विश्वनाथ को पाकिस्तान जैसी टीम के खिलाफ भी पहली बार कप्तान बनाने का जोखिम उठाया था। विशी ने बाद में यह भी संकेत दिया गया था कि उन्हें यूं लगा था कि टॉस पाकिस्तान ने जीता था।
लेकिन आसिफ ने जो तेजी दिखाई- उसके सामने, पहली बार के टेस्ट कप्तान और वह भी नरम मिजाज वाले विश्वनाथ, ‘ऑन द स्पॉट’ इस मामले को उठाने की हिम्मत नहीं दिखा पाए थे। नतीजा- टॉस का जो आसिफ चाहते थे, वह उन्हें मिल गया था।
कई साल के बाद, इस मामले में एक और बात सामने आई थी। टीम, कोलकाता में, जिस होटल में रुकी हुई थीं, वहीं भारत के भूतपूर्व कप्तान नवाब पटौदी भी रुके हुए थे। टेस्ट शुरू होने से पिछली देर रात, अचानक ही पटौदी को विश्वनाथ का मैसेज आया था कि किसी आवश्यक बात के लिए वे फौरन उनसे मिलना चाहते हैं। पटौदी ही क्यों? इसका जवाब यह है कि जब 1969 में विश्वनाथ ने टेस्ट मैच में डेब्यू किया था।
तो पटौदी कप्तान हुआ करते थे और कानपूर के उस डेब्यू टेस्ट में पहली पारी में 0 पर आउट होने के बावजूद पटौदी ने उन्हें जो हौसला दिया- वे उसे कभी भूल नहीं पायेगे। अब कोलकाता में भी वे किसी ख़ास मसले के बारें में पटौदी से कोई बात करना चाहते थे- इसी उम्मीद में कि ठीक सलाह दी होगी।
विश्वनाथ ने तब पटौदी को बताया था कि आसिफ इकबाल ने उनसे मिलकर कहाँ कि हर कप्तान टॉस जीतना ही चाहता है और उन्होंने विश्वनाथ को वायदा कर दिया था कि कल सुबह उन्हें ही टॉस जीतने वाला सब कहेंगे- सिक्का चाहे कैसा भी गिरे। विश्वनाथ इतने साल खेल कर ये तो बिलकुल भी जान चुके थे कि जो वे कह रहे थें- उसका मतलब उतना ही नहीं, जो दिखा रहा है और इस match fixing in cricket में-
इस कोलकाता टेस्ट मैच में खेल के दौरान भी कुछ ऐसा हुआ जो ‘क्रिकेट’ नहीं लगा पर वह एक अलग स्टोरी सी ही लगी। इस रिपोर्ट में किस्सों को इसी टॉस से शुरू किया पर उनकी रिपोर्ट का ये ख़ास पहलू, वह मसला था जिसमें शायद किसी की अब कोई भी रूचि नहीं हैं।
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Conclusion-
दोस्तों आज आपको इस cricketinhindi blog में बताया कि pakistan match fixing और match fixing in cricket के बारें में आपको सब बता दिया गया हैं कि क्या हुआ था और क्या टॉस की कहानी हैं. इन सब के बारें आपको सब बता दिया गया हैं और ऐसे ही और भी क्रिकेट हिस्ट्री के बारें जानें के लिए फॉलो करें और हमें आशा हैं किआप्को यह ब्लॉग जरुर पसंद होगा.
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